पाकिस्तान को गिफ्ट में मिलने वाले बहुमूल्य पानी पर लगेगी रोक,सोमा कंपनी ने काम में लाई तेजी

पाकिस्तान को गिफ्ट में मिलने वाले बहुमूल्य पानी पर लगेगी रोक,सोमा कंपनी ने काम में लाई तेजी

जिला कमीश्नर ने दी 400 और कर्मचारियों को दी अनुमति 800 में से 398 मजदूर अपने पैतृक गांव लौट चुके हैं बैराज

जुगियाल / पठानकोट ( कमल कृष्ण हैप्पी ) : रावी दरिया पर स्थित 600 मैगावाट क्षमता वाले रणजीत सागर बांध परियोजना की दूसरी 206 मैगावाट शाहपुर कंडी बैराज परियोजना का काम बड़ी तेजी से चल रहा है और कोविड-19 के चलते हुये यहां पर कार्यरत 800 मजदूरों में से 398 मजदूर अपने पैतृक गांवों को लौट गए है पर काम में तेजी लाने के उदेश्य से सोमा कंपनी की ओर से जिला पठानकोट के डिप्टी कमीनर से लगभग 400 और प्रवासी मजदूर मगवाने की अनुमति ली गई है। इसी के साथ सोमा कंपनी की ओर से पंजाब के हिस्से का मूलरूप काम जो रावी दरिया को आर पार करने के लिये बनाना था वह लगभग पूरा हो चुका है जिस मे 1 से लेकर 15 तक गेटों का निर्माण पंजाब क्षेत्र मे होगा और इसी प्रकार 16 से 22 गेटों का निर्माण जम्मू कश्मीर के क्षेत्र मे होगा। जिस के लिये रावी दरिया के बहाव को जम्मू कश्मीर के क्षेत्र से पंजाब के क्षेत्र की ओर मोडऩा होगा जिस के लिये सोमा कंपनी दिन रात एक किये हुये है। अनुमान है कि अक्टूबर के बदले दिसंबर के बाद ही यह कार्य संभव है।

इसी के साथ पंजाब मे बने मुख्य बांध से इस समय पानी आगे भेजने के लिये सोमा की ओर से चार मीटर बाई तीन मीटर से 10 सलूस बनाए गये है तथा इन से पानी आगे निकलने पर अढ़ाई मीटर वाईया की 390 पाईपे लगा कर 160 मीटर लंम्बा अस्थाई पूल बनाया जाये गा। जिस के जरीये पंजाब से जम्मू क्षेत्र की ओर चलने वालें काम पर कार्य करने वाले कर्मचारी जा सके गे। उस के बाद मुख्य बांध बनने के बाद 10 सलूसों और अस्थाई पूल को बंद कर दिया जाये गा और पानी नहरों के इलावा बने स्पिल्वें गेटों की ओर से आगे पावर हाउस और मुख्य नहरों मे जाये गा और अनुमान है कि अप्रैल 2022 मे यह बांध बन कर तैयार हो जाये गा। जिस से 206 मैगावाट बिजली उत्पादन के साथ साथ पंजाब की लगभग 5000 हैक्टर और जम्मू कश्मीर की लगभग 32000 हैक्टर भूमि को सिचाई के लिये पानी मिलेगा।  

गौरतलब है कि बैराज प्रोजैक्ट का वर्षो तक साढ़ेसाती के साथ रहा है चोली-दामन का साथ रहा है क्यों कि 3 मार्च 1979 को शेख अबदूल्ला और प्रकाश सिंह बादल के बीच रणजीत सागर बांध और शाहपुर कंडी बांध परियोजना के निर्माण के लिये समझोता हुआ था। वर्ष 2012 मे रणजीत सागर बांध परियोजना का कार्य तो पूरा हो गया पर शाहपुर कंडी बैराज परियोजना का कार्य अधर मे लटक गया। वर्ष 2008 मे नैशनल कानफरैंस मे जम्मू कश्मीर ने पंजाब के उपर आरोप लगाया कि समय पर शाहपुर कंडी बांध परियोजना के निर्माण कार्य पूरा ना होने के कारण समझोते के अनुसार जम्मू कश्मीर सरकार को मिलने वाले पानी और बिजली के हिस्से के कारण 8599 करोड़ का नुकसान झेलना पड़ा है।

इसी बीच 13 मार्च 2013 को शाहपुर कंडी बैराज का निर्माण कार्य दोबारा शुरू हुआ जो जम्मू कश्मीर सरकार की ओर से 1 सितंबर 2014 को बंद करवा दिया और 7000 करोड़ की राशी की समझोते को दोबारा रिवाइज करने की मांग की। केंद्र सरकार की दखल अंदाजी के कारण 24 अगस्त 2017 को जम्मू कश्मीर सरकार की कैबिनट ने दोबारा इसके निर्माण की इजाजत दी। इस के बाद मार्च 2020 मे कोविड -19 के चलते फिर एक बार बैराज का निर्माण कार्य रूक गया तथा इस मे कार्यरत 800 प्रवासी मजदूरों मे से 398 मजदूर वापिस अपने पैतृक गावों को लौट गये। अब बांध प्रशासन ने लगभग 400 प्रवासी मजदूरों के शाहपुर कंडी बैराज स्थल पर आने के लिये जिला प्रशासन से मदद मांगी है। इसी के साथ सोमा कंपनी की ओर से कार्य कर रहे कर्मचारियों को अधिक वेतन देकर काम के समय को बढ़ा दिया है जिस कारण काम मे तेजी आई है।

जिस से जितनी जल्द यह बांध परियोजना का निर्माण होगा उतनी जल्द ही पाकिस्तान को  गिफट मे मिलने वाले बहुमूल्य पानी पर रोक लगेगी।इसी के साथ जून 2020 तक अभी पंजाब सरकार द्वारा पावर हाउस का निर्माण कार्य शुरू नही करवाया गया जो कि एक गंभीर चिता का कारण है। क्यों कि पहले पावर हाउस का निर्माण होगा और उसके बाद वहां पर जैनरेशन मशीन लगने के बाद सविच यार्ड का निर्माण होगा तब बिजली का उत्पादन संभव है। जिस के लिये सरकार को इसके प्रति गंभीर होने की जरूरत है। कही फिर शाहपुर कंडी बांध साढ़े सती की गिरफत मे ना आ जाये।

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