शिष्य का गुरु के बगैर चलना मुश्किल : गुरु मां
बटाला 5 जुलाई (अविनाश ) : आनंदमूर्ति गुरु मा ने गुरु पूर्णिमा के पावन पर्व पर कहां के जैसे जल के बगैर मछली नहीं रह सकती। जैसे प्राण के बगैर शरीर जिंदा नहीं रह सकता,ऐसे ही शिष्य का गुरु के बगैर चलना मुश्किल और असंभव भी है। गुरु के समक्ष नारियल, फल, फूल मिठाई व दक्षिणा रखने से गुरु पूर्णिमा पूर्ण नहीं होती।
बालक के जो ध्यान ज्ञान यीग और वेदांत आपने हमसे सीखा है। अगर आप उसका अभ्यास करते हैं तो निश्चय ही आप गुरु शरण से मुक्त हो जाएंगे। क्योंकि आपका अभ्यास ही हमारी दक्षिणा होगी। गुरु शरण चुकाने का एक ही उपाय है कि इस ज्ञान को आप अपने जीवन का हिस्सा बना लीजिए। धन पदार्थ वस्तुएं यह सब शरीर तक ही सीमित हैं। जैसे शरीर नशवर है। ऐसे ही यह वस्तुएं नश्वर हैं हमारे शरीर द्वारा अनुभूत किए गए पदार्थों को शरीर के सांग समाप्त होना पड़ता है लेकिन शरीर के मर जाने पर भी जो बचता है।
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