नारी के आत्मसम्मान की गाथा है गोपाल शर्मा फिरोजपुरी का निबंध संग्रह नारी बिना सब सून

सुजानपुर 29 अगस्त (रजिंदर सिंह राजन /अविनाश) जिला पठानकोट के प्रसिद्ध साहित्यकार गोपाल शर्मा फिरोजपुरी का निबंध संग्रह नारी बिना सब सून नारी के आत्मसम्मान की गाथा है अपनी लोकप्रिय रचनाओं के चलते हमेशा चर्चा में रहने वाले साहित्यकार गोपाल शर्मा फिरोजपुरी उम्र के 75 पड़ाव पार कर चुके हैं लेकिन उसके बावजूद भी साहित्य रचना की उनकी रफ्तार निरंतर तीव्र गति से जारी है अपनी रचना नारी बिना सब सून संबंधी उन्होंने जानकारी देते हुए बताया कि नारी के सम्मान नारी के समाज में सर्वोच्च स्थान नारी के परिवार के लिए दिए योगदान को दर्शाने बाले इस निबंध संग्रह की रचना का उनका उद्देश्य समाज में नारी के  महत्वपूर्ण योगदान के बारे में लोगों को जागृत करना है उन्होंने कहा कि जिस समाज में नारी शिक्षित नहीं है नारी का सम्मान नहीं है वह समाज कभी तरक्की नहीं कर सकता वह समाज पिछड़ा रहेगा उन्होंने कहा कि आज देश की नारी विभिन्न विभिन्न फील्ड में अपनी सफलता का डंका बजा कर यह प्रमाणित कर चुकी है कि लड़का लड़की में भेद करने वाले लोग यह समझ जाएं कि लड़की किसी भी तरह से लड़कों से कम नहीं है वही इस नवीन  संग्रह में उन्होंने इसके साथ साथ किसानों की आर्थिक स्थिति, वन संपदा को हो रहे नुकसान, पीने वाले पानी की समस्या, प्यार वह धर्म के क्षेत्र में नारी के साथ हो रही ठगी, जनसंख्या विस्फोट बच्चों में बढ़ रही नशे की प्रवृत्ति पर अपनी रचनाएं संकलित की है गोपाल शर्मा फिरोजपुरी के इस 36वर्षीय लंबे साहित्य सफर में उन्होंने अभी तक 33 किताबों का प्रकाशन हो चुका है उनकी कई रचनाओं पर छात्र एमफिल तथा पीएचडी कर चुके हैं उनके द्वारा लिखे हुए नाटकों को विभिन्न मंचों पर रंग कर्मियों द्वारा मंचित किया जा चुका है गोपाल शर्मा फिरोजपुरी का कहना है कि साहित्य उनकी रूह की खुराक है जब तक उनके शरीर में सांस रहेगी वह साहित्य का सृजन करते रहेंगे वहीं उन्होंने कहा कि सरकार की ओर से  साहित्य के प्रति दिखाई जा रही बेरुखी के कारण युवा पीढ़ी साहित्य सृजन से दूर होती जा रही है जो कि गंभीर चिंता का विषय है क्योंकि साहित्य समाज का आईना है इसलिए सरकार को चाहिए कि वह साहित्यकारों को प्रोत्साहित करने के लिए उन्हें एक ऐसा मंच प्रदान करें जहां पर वह निर्विघ्न रुप से अनुकूल वातावरण में साहित्य की रचना कर सकें तथा साहित्य को जीवन का अभिन्न अंग बना सकें फोटो गोपाल शर्मा फिरोजपुरी अपनी नवीन साहित्य रचना को दर्शाते हुए

Related posts

Leave a Reply