भगवान परशुराम जयंती पर गांव रकासन में नमस्तक हुए भगतजन

भगवान परशुराम जयंती पर गांव रकासन में नमस्तक हुए भगतजन 
नवांशहर, 26 (जोशी)   जिला नवांशहर के कस्बा जाडला के नजदीक गांव रकासन में भगवान श्री परशुराम की जन्मस्थली पर आज भगवान श्री परशुराम की जयंती पर महामारी के चलते कोई विशेष कार्यक्रम तो नहीं हो सका लेकिन नवांंशहर के ऋषि कुटिया के अचार्य ऋषि राज महाराज जी ने गांव रकासन में परशुराम सेवा सोसायटी के चंद सदस्यों की उपस्तथति में मंदिर में पूजा अर्चना करके विश्व के कल्याण के लिए अरदास की। इस अवसर पर अचार्य ऋषि राज ने बताया कि भगवान परशुराम जी का वास्तविक नाम राम था। उन्होंने अपनी कठोर भक्ति से भगवान शिव को खुश करके उनसे वरदान में परसा पाया था।जिसके चलते इनका नाम राम से परशुराम हो गया। जब जब धरती पर राक्षसों का अत्याचार बढ़ा है तब-तब भगवान परशुराम जी ने इस धरती पर अवतार लेकर दुष्टों का संहार किया है। उन्हों ने बताया कि हमें हमेशा सत्य के मार्ग पर चल कर जन कलयाण के लिये कार्य करने चाहिये। जब भी धरती पर अत्याचार होगा तब तब भगवान किसी न किसी रूप में अवतरित जरूर होंगे। उन्होंने बताया कि गांव रकासन का नाम भी ऋषि के आसन से प्रचलित हुआ। क्योंकि इस गांव में माता रेणुका माता जी का प्राचीन मंदिर स्थित है और इसी गांव में भगवान परशुराम जी ने आसन लगाकर भगवान की स्तुति की थी। उसी आसन से ऋषि आसन प्रचलित हुआ और गांव रकासन का नाम प्रसिद्ध हुआ। जिस के संबंध में पंजाब राजस्व विभाग के रिकॉर्ड से प्रमाण सहित दस्तावेज के आधार पर मंदिर का भव्य निर्माण प्रबंधक कमेटी द्वारा करवाया जा रहा है और जन्मस्थली को एक देवस्थान के रूप में प्रसिद्धि मिल रही है हर साल यहां भंडारा व सत्संग कर भगवान परशुराम जी की स्तुति की जाती है। आज पूरे विश्व में जहां भी भगवान परशुराम जी को मानने वाले श्रद्धालु हैं वह बहुत श्रद्धा भाग से यहां माथा टेकने आते हैं। लेकिन इस बार लाकडाऊन और कर्फ्यू के चलते सभी कार्यक्रम स्थगित कर दिए गए। मगर मंदिर प्रबंधक कमेटी के पदाधिकारियों द्वारा कोरोना महामारी से राहत दिलाने व आशीर्वाद लेने के लिए प्रशासन द्वारा जारी सावधानियों के चलते सोशल डिस्टिंंग बनाकर कुछ लोगों ने ही पूजा अर्चना की। उन्होंने भगवान से प्रार्थना की कि जल्द ही कोरोना महामारी से मुक्ति दिलाए और इस अंधकार से बाहर निकालें। इस अवसर पर राकेश कुमार छिब्बा, आचार्य शाम लाल जी बंगा, राकेश कुमार अरोड़ा, गुरविंदर कुमार मंगी, वरिंदर कुमार छिब्बा, मुनीश कुमार चुघ आदि उपस्थित रहे।    
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