नवांशहर, 11 जून ( जोशी ) : नवांशहर में नगर कौंसिल में विपक्ष के नेता परम सिंह खालसा के निवास स्थान पर विशेष प्रेस वार्ता में सभी विपक्षी पार्षदों जिंद्रजीत कौर, पार्षद परम सिंह खालसा, पार्षद जसविंदर सिंह जस्सी तथा पूर्व पार्षद हरमेश गुलेरिया ने मौजूदा पंजाब सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि लॉकडाऊन तथा कर्फ्यू के दौरान भी कांग्रेस पार्टी राजनीति करने से बाज नहीं आई। देखने में आया कि केंद्र सरकार द्वारा भेजा गया राशन सभी जरूरतमंदों के लिए है, मगर शहर में कुछ चुनिंदा कांग्रेसियों को राशन बांटने की बागडोर सौपी गई है।
जिससे अकाली पार्षदों के वार्डों में जरुरतमंद लोगों को अभी तक राशन मुहैया नहीं करवाया गया। जबकि केंद्र सरकार ने जो राशन भेजा है वह नीले तथा पीने राशन कार्ड धारकों के अलावा अन्य जरूरतमंद लोगों के लिए भी भेजा गया है। लिस्टे तो कई बार मांगी मगर राशन एपने चहेतों को ही दिया गया। उनके देखने में आया कि पंजाब की मौजूदा कांग्रेस सरकार के नेता अपने चहेतों को तो राशन देते हैं, मगर गरीब रोगों पर राशन ना मिलने के एवज में उन पर झूठे पर्चे तक दर्ज कर दिए जाते हैं।पूर्व पार्षद हरमेश गुलेरिया ने बताया कि उसके वार्ड में एक सब्जी विक्रेता के घर में जाकर झूठी वीडियो रिकॉर्डिंग कर उस पर केस दर्ज कर लिया गया।
जिस को बाद में उन्होंने जमानत देखकर छुड़वाया। क्या सरकार एक 500-600 के राशन के लिए इस कदर गिर जाएगी कभी ऐसा सोचा नहीं था। उन्होंने कहा कि जब केंद्र ने राशन सभी के लिए भेजा है तो कांग्रेसी नेता इस कोरोना महामारी के चलते भी राजनीति करने से बाज नहीं आ रहे। जो बहुत ही निंदनीय है। उन्होंने कहा कि पिछले दिनों विधायक राणा गुरजीत सिंह ने एक ट्रक सैनिटेशन के लिए भेजा। जिसके आगे चलकर कुछ कांग्रेसी नेताओं ने रोड शो तो बहुत किया जैसे किसी जंग में जा रहे हों, लेकिन 2 दिन के बाद ना तो ट्रक ही नजर आया ना ही सैनिटाइजेशन। जबकि कहा गया था कि उन्होंने यह ट्रक नवांशहर के लिए दे दिया है।
मात्र हवाई और फोटो शूट के लिए इस तरह की राजनीति करना बहुत ही निंदनीय है। जिसे किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उन्होंने कतहाकि बाजार अब खुले है सैनीटाइजेशन की जरुरत अब ज्यादा है। एक टाइम सुबह दुकाने खुलने से पहले और एक टाईम शाम दुकाने बंद होने के बाद। जिस से लोगों को बचाया जा सके। लेकिल अब ट्रक ही गायब है। उन्होंने कहा कि यदि जरूरतमंदों को राशन देना है तो उसमें पारदर्शिता होनी चाहिए। सभी लोगों को जरूरत के अनुसार राशन मुहैया करवाना चाहिए। उन्होंने कहा कि लॉकडाऊन के दौरान यदि शहर में समाजसेवी संस्थाएं तथा धार्मिक संस्थाएं आगे ना आती तो शहर में हर वर्ग के लोग भूखे मर जाते।
जब उन्होंने अपने दम पर राशन देना शुरू किया उस पर भी प्रश्नचिन्ह लगा दिया गया कि सभी राशन वितरण का कार्य प्रशासन के नेतृत्व में होगा। जिससे कई मध्यमवर्गीय परिवारों को अभी तक राशन नहीं दिया गया।जब उन्होंने मौजूदा नेताओं से राशन मांगा तो उसके लिए उनसे वोटर कार्ड मांगे गए। यदि यहां की वोटर आईडी है तो राशन मिलेगा नहीं तो राशन नहीं दिया जाएगा। जबकि धार्मिक संस्थाओं द्वारा हर किसी को राशन दिया जा रहा था, उस पर भी अंकुश लगाया गया। देखा गया कि शहर में कुछ कांग्रेसी नेताओं ने यहां तक कहा कि राशन की किटटें हम आपको देते हैं आप हमें वोट जरूर दे देना। इस कदर की गंदी राजनीति से लोगों का लोकतांत्रिक प्रणाली से विश्वास उठ गया है।
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