आजादी के समय से संताप झेल रहे लोगो का कहना क्या हम भारत का हिस्सा नही,कब आएगें हमारे अच्छे दिन
गुरदासपुर 27 अगस्त ( अश्वनी ) : पहाड़ी इलाको में हो रही तेज बारिश के चलते ऊज्ज दरिया में जल स्तर बढऩे के साथ ही मकौड़ा पत्तन के रावी दरिया में जल स्तर उफान पर है। इस कारण दरिया पार भारत-पाक सीमा से सटे सात गांव मम्मी चकरंगा,भरियाल,कुक्कर, तूर, चेबे, चुंबर, कजले, लसियान सहित कई गांवों के अवागमन के लिए चलाई जाने वाली किश्ती भी बंद कर दी गई है और उक्त गांव भारत से कट कर टापू में तबदील हो गए है।
स्थानीय निवासियों जिन्होने कई बार चुनावों का बहिष्कार भी किया का कहा है कि सरकारे आई परन्तु उनके लिए कभी अच्छे दिन ने ला पाई। वहीं दूसरी तरफ पानी दरिया पार किसानों के खेतों में भी घुस गया है। जिस कारण उनकी 50 से अधिक एकड़ धान की फसल तबाह हो गई है। उधर बुधवार के जिले में तकरीबन डेढ़ घंटा हुई तेज बारिश से दरिया में जल स्तर और बढ़ता जा रहा है। पानी को बढ़ता देख दरिया पार बसे गांवों के लोगों की सांसें अटक गई है।
गौरतलब है कि मानसून के मौसम के चलते जिला प्रशासन की ओर से मकौड़ा पत्तन पर रावी दरिया पर रखे गए अस्थाई पैंटून पुल को पहले से ही उठा लिया गया था। वहीं दरिया पार बसे सात गांवों के पांच हजार आबादी के लोगों के लिए दरिया पार कर अपने कामकाज के लिए बहरामपुर शहर की तरफ अवागमन के लिए केवल एक मात्र किश्ती का ही सहारा था। वे भी बीच में कई बार बंद करनी पड़ती है। लेकिन दरिया में अब जल स्तर बढऩे से किश्ती को बंद कर दिया गया है। जिस कारण दरिया पार बसे सात गांवों के लोगों का देश से सीधा संपर्क टूट गया है।
दरिया पार बसे गांव भरियाल के मजदूरी का काम करने वाले सतीश कुमार, मोहन लाल, गुरदेव सिंह ने बताया कि लाकडाउन के कारण पहले से ही वे मंदी के दौर से गुजर रहे हैं। अब कहीं बीच में बहरामपुर शहर में दिहाड़ी लग रही थी। दरिया में पानी बढऩे से अब वे दिहाड़ी पर भी नहीं जा पाएंगे,क्योंकि किश्ती के माध्यम से ही वे बहरामपुर की तरफ आते थे।लेकिन अब वे नहीं आ पाएंगे। घर का खर्च चलाना मुश्किल हो गया है। पानी न जाने कितने दिन तक दरिया से कम होगा।
रावी दरिया में जल स्तर बढऩे से किसानों की फसलों में पानी बहुत बड़ी मात्रा में घुस गया है। खेत तालाब का रुप धारण कर चुके हैं। किसान जसवंत सिंह,अर्जुन सिंह,कुलदीप सिंह ने बताया कि दरिया पार उनके खेतों में धान की फसल पूरी तरह से बर्बाद हो गई है। फसलें खराब होने से उनका लाखों रुपये का नुकसान हुआ है। उन्होंने जिला प्रशासन से मांग की कि उन्हें मुआवजा दिया जाए।
-दरिया पार बसे गांवों के लोगों ने कहा कि देश को आजाद हुए 74 साल हो गए हैं। लेकिन वे आज भी गुलामी भरा जीवन व्यतीत कर रहे हैं। उन्हें तो ऐसा लग रहा है कि जैसे उन्हें देश का हिस्सा ही नहीं माना जाता। राजनीतिक लोग चुनाव के समय किश्ती में बैठकर दरिया पार कर उनके पास वोटें लेने के लिए आते हैं। हर बार दरिया पर पक्का पुल बनाकर देने का वादा किया जाता है। लेकिन चुनाव जीतने के बाद उनकी सुध तक नहीं ली जाती। पिछले दशकों से यह संताप झेलते आ रहे हैं। कई बार चुनावों का बायकाट कर चुके है, परन्तु उनके अच्छे दिन कब आएगें।
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