पंजाब की किसानी तबाह करने पर तुले प्रधानमंत्री और कृषि मंत्री का कृषि के साथ दूर-दूर तक कोई संबंध नहीं – सुखजिन्दर सिंह रंधावा

पंजाब की किसानी तबाह करने पर तुले प्रधानमंत्री और कृषि मंत्री का कृषि के साथ दूर-दूर तक कोई संबंध नहीं – सुखजिन्दर सिंह रंधावा
‘मोदी और तोमर के पास न ही ज़मीन और न ही ज़मीनी हकीकतों से वाकिफ़’
कांग्रेसी मंत्री ने हरसिमरत को भी किसानों के ‘डेथ वारंट’ पर हस्ताक्षर करने के लिए घेरा
काले कानूनों के कारण पंजाब के किसानों की हालत बिहार और उतर प्रदेश के किसानों जैसी होने की दी चेतावनी
कानून वापस करवाने के लिए कांग्रेस पार्टी सडक़ से सुप्रीम कोर्ट तक लड़ाई लड़ेगी
चंडीगढ़, 24 सितम्बर:
कांग्रेसी मंत्री सुखजिन्दर सिंह रंधावा ने कहा कि किसानी विरोधी काले कानूनों के द्वारा पंजाब के किसानों को तबाह करने पर तुले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और कृषि मंत्री नरेन्दर सिंह तोमर का कृषि के साथ दूर-दूर तक काई सरोकार नहीं।
स. रंधावा ने दोनों नेताओं के हलफीया बयानों को सबूत के तौर पर पेश करते हुये कहा कि प्रधानमंत्री और कृषि मंत्री के पास तो कृषियोग्य ज़मीन का एक भी टुकड़ा नहीं जिस कारण वह किसानी का दर्द केसे जान सकते हैं। देश के इतिहास में शायद यह पहली बार होगा कि कृषि मंत्री के पास कृषि के लिए ज़मीन न हो। अब तक गुरदयाल सिंह ढिल्लों, बलराम जाखड़, चौधरी देवी लाल, सुरजीत सिंह बरनाला, शरद पवार जैसे नेता देश के कृषि मंत्री रहे हैं जो राजनीतिज्ञ के साथ साथ किसान भी थे।
कांग्रेसी नेता ने कहा कि प्रधानमंत्री और कृषि मंत्री की अपेक्षा अधिक गिला हमें अकाली नेता हरसिमरत कौर बादल पर है जिसने किसान परिवार की मैंबर होकर किसानों के ‘डेथ वारंट’ पर हस्ताक्षर कर दिए। आर्डीनैंस के पास करते समय हरसिमरत केंद्रीय कैबिनेट में शामिल थी और उसकी सहमति के साथ ही यह पास हुआ। उन्होंने कहा कि आज तलवंडी साबो में दिल्ली की दीवारों हिलाने वाले बयान देने से पहले बादल परिवार को बताना चाहिए कि वह अभी भी केंद्र सरकार में हिस्सेदार क्यों हैं? उन्होंने कहा कि किसानी परिवार के नेताओं की तरफ से किसानों की पीठ में छुरा घोंपने की इस कार्यवाही ने अकाली दल के इतिहास को कलंकित किया है।
सहकारिता मंत्री स. रंधावा ने नाबार्ड की तरफ से किये ‘वित्तीय समावेशन सर्वेक्षण 2016-17’ का हवाला देते हुये कहा कि कृषि परिवार की औसतन मासिक आय के मामले में पंजाब सबसे ऊपर है जहाँ यह 23,133 रुपए है और दूसरे नंबर पर हरियाणा में यह 18,496 रुपए है। उन्होंने कहा कि यह दोनों राज्यों में ही मंडीकरन सिस्टम चलता है। उन्होंने कहा कि दूसरी तरफ़ कई सालों से मंडीकरन सिस्टम के बिना चल रहे राज्यों की खराब हालत का अंदाज़ा इस बात से लगाया जा सकता है कि बिहार में यह आय 7175 रुपए और उतर प्रदेश में 6668 रुपए है जोकि देश में सबसे कम है। स. रंधावा ने चेतावनी देते हुये कहा कि जब यह काले कानून लागू हो गए तो पंजाब के किसानों की हालत बिहार और उतर प्रदेश जैसी हो जायेगी।
कांग्रेसी नेता ने कहा कि मंडीकरन बोर्ड के ख़त्म होने से गाँवों की लिंक सडक़ें बेकार पड़े रह जाएंगी। इसके अलावा हादसों का शिकार किसानों और मज़दूरों को मंडी बोर्ड की तरफ से 2 लाख रुपए मुवावज़ा दिया जाता है, वह भी ख़त्म हो जायेगा। उन्होंने कहा काले कानूनों से अकेली किसानी नहीं, बल्कि आढ़तिये, मज़दूर, व्यापारी, शैलर उद्योग, ट्रैक्टर उद्योग, परिवहन और छोटे दुकानदार सभी को नुकसान पहुंचेगा। उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी इन काले कानूनों को वापस करवाने के लिए हर कदम उठाऐगी। सडक़ से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक हर रास्ता अपनाया जायेगा।

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