खेतों में ही पराली का प्रबंधन कर पैसे व समय दोनों की बचत कर रहा है प्रगतिशील किसान मनप्रीत सिंह
– पिछले 5 वर्षों से पराली को नहीं लगाई आग, हैप्पी सीडर से करता है गेहूं की सीधी बिजाई
– वातावरण को साफ रखना हम सभी की सांझी जिम्मेदारी: डिप्टी कमिश्नर
होशियारपुर, 07 अक्टूबर (आदेश परमिंदर सिंह ):
पर्यावरण के प्रति अपनी जिम्मेदारी निभाते हुए होशियारपुर के ब्लाक भूंगा के गांव फतेहपुर का प्रगतिशील किसान मनप्रीत सिंह पिछले करीब 5 वर्षों से पराली का प्रबंधन कर उसे बिना आग लगाए खेती कर रहा है। ऐसे करने से जहां वह वातावरण को साफ रखने में सहयोग कर रहा है वहीं खेती में फायदा भी कमा रहा है। बारहवीं पास यह किसान 45 एकड़ भूमि पर खेती करता है, जिसमें से 3 एकड़ उसकी अपनी है व बाकी जमीन उसने ठेके पर ले रखी है।
डिप्टी कमिश्नर अपनीत रियात ने मनप्रीत की सोच की प्रशंसा करते हुए कहा कि वर्तमान में सभी किसानों को इसी सोच के साथ खेती करने की जरुरत है, जिससे हमारे स्वास्थ्य के साथ-साथ हमारा पर्यावरण भी साफ सुथरा रहेगा। उन्होंने किसानों को पराली को आग न लगा जिला प्रशासन की ओर से की जा रही पहलकदमियों में सरगर्म सांझीदार बनकर इस जागरुकता अभियान को जमीनी स्तर पर असरदार ढंग से लागू करने की अपील की ताकि इस कार्रवाई के बुरे परिणामों से बचा जा सके। उन्होंने कहा कि पराली व फसल के अवशेषों को आग लगाना मानवीय स्वास्थ्य, वातावरण के साथ-साथ मित्र कीड़ों के लिए भी बहुत नुक्सानदेह है, जिसको रोकना हम सभी की सांझी जिम्मेदारी बनती है।
किसान मनप्रीत ने बताया कि वह करीब 14 एकड़ जमीन पर गेहूं व धान की बिजाई व बाकी जमीन पर कमाद, छोले आदि की बिजाई करता है। उन्होंने बताया कि वह पिछले पांच वर्षों से धान की कटाई एस.एम.एस लगी कंबाइन से करवाता है, जिसके परिणाम स्वरुप पराली एक साथ खेत में बिखेरी जाती है व हैप्पी सीडर से सीधी गेहूं की बिजाई बहुत ही आसान तरीके से कम लागत में हो जाती है। ऐसा करने से उसके समय पर पैसे दोनों की बचत होती है।
मनप्रीत सिंह ने बताया कि पराली का प्रबंधन करने से खेतों में जैविक पदार्थ की वृद्धि हो गई है और इस तकनीक से खेत में नदीनों की समस्या नाममात्र के बराबर देखने को मिलती है व नदीननाशक का खर्चा भी कम होता है। उन्होंने कहा कि कोविड-19 के इस दौर में पराली न जलाकर खेत में ही इसका संभाल कर जहां वातावरण प्रदूषण कम किया जा सकता है, वहीं इस महामारी से बचाव के लिए योगदान भी डाला जा सकता है। उन्होंने किसानों को अपील करते हुए कहा कि पराली को जमीन में संभालने से बहुत लाभ होता है और पर्यावरण भी साफ रहता है।
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