धान की पराली का सुचारु प्रबंधन कर गांव लल्लियां के दिव्यांग किसान जसविंदर सिंह ने पैदा की मिसाल

धान की पराली का सुचारु प्रबंधन कर गांव लल्लियां के दिव्यांग किसान जसविंदर सिंह ने पैदा की मिसाल
– 7 वर्षों से पराली को बिना आग लगाए खेतों में कर रहा है प्रबंधन
होशियारपुर, 14 अक्टूबर:
जिला होशियारपुर के ब्लाक गढ़शंकर के गांव लल्लियां के प्रगतिशील किसान व पूर्व सरपंच जसविंदर सिंह ने दिव्यांग होने के बावजूद अपनी दृढ़ सोच व इरादों के चलते धान की पराली का सुचारु प्रबंध कर मिसाल पैदा की है। जसविंदर सिंह करीब 7 वर्षों से पराली को आग लगाए बिना फसलों के अवशेषों का सुचारु प्रबंधन कर गेहूं की काश्त कर रहे हैं। कृषि विभाग व कृषि विज्ञान केंद्र की तकनीकी देखरेख के अंतर्गत इस किसान ने एस.एम.एस. कंबाइन से धान की कटाई करने के बाद किराए पर हैप्पी सीडर तकनीक से 12 एकड़ गेहूं की काश्त वर्ष 2018-19 में शुरु की थी।  
डिप्टी कमिश्नर अपनीत रियात ने कहा कि फसलों के अवशेष के आग लगाने से जमीन के सेहत, मानवीय स्वास्थ्य व वातावरण पर पूरा प्रभाव पड़ता है। उन्होंने कहा कि जसविंदर सिंह जैसे प्रगतिशील किसानों ने धान की पराली का सुचारु प्रबंध कर मिसान पैदा की है। पंजाब कृषि विश्वविद्यालय, भारतीय कृषि खोज परिषद नई दिल्ली व कृषि व किसान भलाई विभाग पंजाब सरकार की ओर से इस बात पर अभियान के रुप में जोर दिया जा रहा है कि किसान धान की पराली को न जलाए व उपलब्ध मशीनरी पर तकनीक के माध्यम से इसका योग्य प्रबंध कर वातावरण को प्रदूषित होने से बचाएं व जमीन के स्वास्थ्य के बरकरार रखें। डिप्टी कमिश्नर ने कहा कि जहां कृषि व किसान भलाई विभाग की ओर से किसानों को धान की पराली का खेतों में प्रबंधन करने संबंधी कृषि मशीनरी पर सब्सिडी मुहैया करवाई गई है वहीं के.वी.के होशियारपुर ने कृषि विभाग के सहयोग से किसानों के खेतों में धान की पराली को संभालने संबंधी तकनीके भी प्रर्दशित की हैं।
जसविंदर सिंह ने बताया कि हैप्पी सीडर बिजाई के सफल तजुर्बे से संतुष्ट होकर उसने वर्ष 2019-20 में गेहूं की बिजाई इसी ढंग से की। इसके साथ ही उसने कृषि विज्ञान केंद्र बाहोवाल द्वारा उपलब्ध करवाए उलटावे हल व मल्चर का प्रयोग कर धान के बाद 8 एकड़ आलू की काश्त भी की। उन्होंने कहा कि वातावरण हितैषी हैप्पी सीडर तकनीक से जमीन के स्वास्थ्य में सुधार होता है व गेहूं की बिजाई समय पर हो जाती है। उन्होंने यह भी बताया कि हैप्पी सीडर तकनीक से गेहूं की फसल में नदीन भी कम उगते हैं व गेहूं का झाड़ भी अच्छा आता है।
कृषि विज्ञान केंद्र बाहोवाल के डिप्टी डायरेक्टर मनिंदर सिंह बौंस ने बताया कि लल्लियां गांव को कृषि विज्ञान केंद्र बाहोवाल व कृषि विभाग गढ़शंकर के सहयोग से वर्ष 2020-21 के दौरान पराली प्रबंधन के कार्य के लिए केंद्रीय प्रोजैक्ट के अंतर्गत अपनाया गया है व इस बाबत प्रशिक्षण कोर्स जागरुकता अभियानों व प्रदर्शनियों के माध्यम से अलग-अलग गतिविधियां की जा रही हैं। जसविंदर सिंह ने सफल तर्जुबे के कारण व वातावरण के प्रति अपनी वचनबद्धता निभाते हुए गांव की ओर से पराली प्रबंधन के नेक कार्य के लिए पूरा भरोसा जताया गया है।    
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