नई दिल्ली: तीन कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसानों का आंदोलन अब भड़क गया है। पंजाब और हरियाणा से बड़ी संख्या में किसान दिल्ली आ रहे हैं। किसानों को दिल्ली में प्रवेश से रोकने के लिए पुलिस और प्रशासन ने भी कड़े प्रबंध किए है। दिल्ली सीमा पर भारी पुलिस तैनात की गई है।
केंद्र सरकार के तीन कृषि कानूनों के विरोध में किसान संगठनों ने दिल्ली कूच का ऐलान किया है। किसानों को रोकने के लिए प्रदेश सरकार ने सभी बॉर्डर सील कर दिए हैं। ऐसे में किसानों और पुलिस के बीच कई जगह टकराव हो गया। शंभू बॉर्डर पर किसानों ने आगे बढ़ने के लिए बेरिकेट तोड़ दिए। इसके बाद पुलिस ने पानी की बौछारें करके उन्हें रोकने की कोशिश की, वहीं आंसू गैस के गोले भी छोड़े गए। इससे गुस्साए प्रदर्शनकारियों ने पुलिस पर पथराव कर दिया। ऐसी स्थिति कई जगह बनी हुई है। किसान उग्र रुप धारण किए हुए हैं। पुलिस द्वारा लगाए गए बेरिकेट को तोड़कर वह दिल्ली के लिए आगे बढ़ रहे हैं। पुलिस उन्हें रोकने का प्रयास कर रही है।
तीसरी विधि कांटेदार तार का उपयोग है। दिल्ली सीमा पर तारों के बंडल रखे गए हैं जो चौकियों के सामने बंधे होंगे; ताकि अगर किसानों के विरोध के दौरान कोई ट्रैक्टर या कोई अन्य वाहन बाधाओं को मारता है, तो उनके टायर पंचर हो जाते हैं।
पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश सहित देश के कई राज्यों में किसान केंद्र सरकार द्वारा पेश किए गए नए कृषि कानूनों का विरोध कर रहे हैं।
दिल्ली में प्रवेश को रोकने के लिए पहली बार पुलिस ने तीन नए तरीके अपनाए हैं
कोरोना महामारी के मद्देनजर, दिल्ली पुलिस ने दिल्ली के बाहर सिंधु सीमा पर Covid -19 का बैनर लगाते हुए कहा है कि किसी भी तरह के प्रदर्शन की अनुमति नहीं है और इसका उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
किसानों के विरोध के सिलसिले में दिल्ली पुलिस द्वारा लिया गया दूसरा तरीका यह है कि राजधानी में प्रवेश करने वाले सभी वाहनों की भारी जाँच की जा रही है। सीमा पर वाहनों को रोककर पत्रों की जांच की जा रही है और राजधानी जाने का कारण पूछा जा रहा है।
तीसरी विधि कांटेदार तार का उपयोग है। दिल्ली सीमा पर तारों के बंडल रखे गए हैं जो चौकियों के सामने बंधे होंगे; ताकि अगर किसानों के विरोध के दौरान कोई ट्रैक्टर या कोई अन्य वाहन बाधाओं को मारता है, तो उनके टायर पंचर हो जाते हैं।
पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश सहित देश के कई राज्यों में किसान केंद्र सरकार द्वारा पेश किए गए नए कृषि कानूनों का विरोध कर रहे हैं।
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