होशियारपुर, (SUKHWINDER SINGH, VICKY JULKA): सतगुरु की शरण में जाकर इंसान इस निरंकार प्रभु की जानकारी हासिल कर लेता है। जिसके बाद वह इंसान से गुरसिख बन जाता है। गुरसिख ज्ञान को अपने जीवन में अपना कर इस संदेश को जन जन तक पहुंचाता है। उक्त विचार निरंकारी सतगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज ने दिल्ली में हुए एक निरंकारी संत समागम दौरान प्रकट किए।
इस समागम में दिल्ली की संगतों के अतिरिक्त नजदीक के प्रातों की संगतों ने भी हिस्सा लिया तथा सतगुरु के दर्शन करके आर्शीवाद प्राप्त किया। इस मौके पर सतगुरु माता सुदीक्षा जी ने फरमाया कि इंसान को ब्रह्मज्ञान प्राप्त करके हमेशा निरंकार परमात्मा के भाने में रहते हुए अपने कीमती जीवन को व्यतीत करना चाहिए तथा वैर, विरोध, नफरत, ईष्र्या को छोड़ कर प्यार, विनम्रता, सहनशीलता, आपसी भाईचारे आदि गुणों को अपनाना चाहिए। गुरसिख हमेशा निम्रता में रहता है तथा चतर चालाकियों को छोड़ कर इस निरंकार प्रति पूरी ईमानदारी से तथा शुक्राने की भावना से अपना जीवन व्यतीत करता है। उन्होंने कहा कि उतराखंड के मंसूरी व अन्य स्थानों पर भी पिछली दिनों टूर के दौरान सत्संग का बहुत सुंदर रूप देखने को मिला। विभिन्न स्थानों से आए सभी महापुरुषों ने किसी निम्र भाव से सत्संग का आनंद हासिल किया तथा एक निरंकार प्रभु का गुणगान किया। उन्होंने आगे कहा कि इस वर्ष होने वाले इंटरनैशनल संत समागम की तारीखें 16,17,18 नवंबर 2019 की घोषण हो चुकी है इसलिए संत निरंकारी परिवार के लिए सेवा की ऋृति आ गई है अब हम सभी ने ही हर वर्ष की तरह मिलकर इसकी तैयारी करनी है तथा जन जन तक इस निरंकार प्रभु के संदेश को पहुंचाना है।
सतगुरु के आगे फरमाते हुए कहा कि निरंकारी मिशन को स्थापित हुए 90 वर्ष हो गए है तथा मिशन द्वारा एक ही संदेश मानव जाति को दिया गया है कि प्रभु परमात्मा की जानकारी हासिल करके अपना खुद का जीवन तो सुधारना ही है तथा साथ ही अन्य की भी सहायता करनी है। पुरातन संत महापुुरुषों ने जिस तरह इस मिशन को पुरी मेहनत व लगन से बुलंदियों पर पहुंचाया है, मिशन की सभी जिम्मेवारियों को समझते हुए इंसानी कदरों कीमतों को भी प्राथमिकता देनी है। हमारा आचार, व्यवहार, रहना सहना, बोलचाल ऐसी होनी चाहिए कि जिससे झलक पड़े कि हम अच्छी शख्सीयत के मालिक है। इस समागम के दौरान रमित जी, राज वासदेव जी, नशीला जी, सुलेख साथी आदि अन्य संत महात्माओं ने गीतों व प्रवचनों से सतगुरु की आर्शीवाद प्राप्त किया।ब्रह्मज्ञान हासिल करने के बाद गुरसिख कर्म से ज्ञान को जन जन तक पहुंचाता है : सतगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज
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