Hoshiarpur –(Manpreet Singh) मिलावटखोरी को रोकने के लिए बड़े कदम उठाने होंगे
प्रशासन को कदम : -बढिय़ा गुणवता वाले दुकानदारों व काश्तकारों को सम्मानित कर रोकी जा सकती है मिलावट खाद्य पदार्थों में मिलावट व खाने वाली चीजें बनाए जाने की कई वीडियो सोशल मीडिया में वायरल होती रहती है। कई बार दुकानदारों द्वारा खाने वाली चीजों में मिलावट, फास्ट फूड में की जाने वाली मिलावट, सब्जियों व फलों में टीके लगाकर मिलावट के समाचार भी कई बार प्रकाशित होते रहते है।
मिलावटखोरी इतने बड़े स्तर पर फैल चुकी है कि इसको रोकने के लिए किए जा रहे प्रयास काफी नहीं है इसके लिए अब बड़े स्तर पर प्रशासन को यत्न करने होंगे। छापेमारी व अन्य कार्यवाहियों से मिलावटखोरी कम होने की बजाए बढ़ी मिलावट खोरी को रोकने के लिए सेहत विभाग व दुकानदारों व काश्ताकारों के साथ बैठ कर जागरूकता बैठकें अहम भूमिका अदा कर सकते है। स्वास्थ्य विभाग को यहां एक बात समझनी होगी कि छापेमारी व अन्य कार्यवाहीयां जनता की सेहत से खिलवाड़ न हो इसके लिए होती है लेकिन यह मिलावटखोरी कम होने की बजाए बढ़ रही है, उसकी पीछे के कारणों को ढूंढना होगा तथा उनके हल के लिए काम करना होगा।
छापेमारी करते समय जो कर्मचारी दुकानदारों, रेहड़ी व अन्य लोगों से डरा धमका कर पैसे ऐंठते है उनका पता लगाकर उन पर सख्त कार्यवाही को अंजाम देना होगा। छापेमारी के दौरान जब किसी सैम्पल भरा जाता है उस समय इस बात से दुकानदार पूरी तरह से वाकिफ होते है कि चीजों में मिलावट तो किसी न किसी तरह से निकल ही आती है,इससे बचने के लिए दुकानदार या तो किसी नेता की सिफारिश लगाने की कोशिश करता या फिर पैसे देकर मामले को रफादफा करने की बात की जाती है लेकिन होना तो यह चाहिए कि मिलावटखोरी को ही क्यों न छोड़दिया जाए। सैम्पल भरने की फोटो तो खिचवा ली जाती है कार्यवाही क्या हुई यह नहीं बताते छापेमारी वाली टीम द्वारा विभिन्न चीजों के सैम्पल भरते समय फोटो तो खिचवा कर समाचार पत्रों में दे दी जाती है, इतना सैम्पल का माल बरामद किया।
इतने सैम्पल भरे लेकिन इसके बाद दुकानदार का माल ठीक निकला या कोई खराब निकला, इसकी सूचना कभी भी मीडिया द्वारा नहीं दी जाती। सीधी सी बात है अगर यह बात सामने आ जाए तो मामले को खुर्दबुर्द करने की संभावनाओं के चांस कम हो जाते है।इसके लिए प्रशासन को चाहिए कि जिसके भी सैम्पल भरे जाते है उसकी पूरी वीडियो ग्राफी होनी चाहिए। उसका माल में कितनी खराबी आई और उस पर क्या कार्यवाही हुई इसके बारे में लोगों तक सूचना जरूर पहुंचनी चाहिए। बढिय़ा गुणवता वाले दुकानदारों व काश्तकारों का होना चाहिए सम्मान तभी रूकेगी मिलावट इस मिलावट वाले दौर में भी कई दुकानदार व काश्तकार पूरी इमानदारी से बढिय़ा गुणवता वाली चीजें तैयार करते है। इस मिलावटखौरी वाली दौर में उस ओर किसी का ध्यान नहीं जाता।
अगर इन दुकानदारों व काश्तकारों को प्रशासन व सेहत विभाग सम्मानित करे तो मिलावटखोरी को कुछ हद तक रोकने की ओर कदम बढ़ाया जा सकता है। इससे बाकी लोगों को भी उत्साह मिलेगा कि वह भी अगली बार प्रशासन व विभाग से सम्मान हासिल करेगा। फैक्ट्रीयों से शुरु होती है मिलावटखोरी, निचले तो केवल बदनाम मिलावट खोरी का जब जिक्र होता है तो हमेशा निचले स्तर को कोसा जाता है लेकिन यह मिलावटखोरी की जड़ जो है वह बड़ी बड़ी फैक्ट्रीयों में लगी हुई है। जो चीजें पैकिंग में आती है उसमें निचले स्तर पर मिलावटखोरी कहां से हो जानी है, वह तो यहां से उस चीज की पैकिंग शुरू हुई वहां पर ही यह कार्य होता है। इसके लिए सरकारों को कमेटियों का गठन करके फैक्ट्रीयों पर छापेमारी करके आरोपियों को काबू करके उन पर सख्त से सख्त कार्यवाही होनी चाहिए।
हां अगर पहले से ऐसी कमेटियां है जो यह सारा काम देखती है तो वह कमेटियां क्या करती है क्या केवल फैक्ट्रीयों से घर बैठे ही पैसे लेकर चैकिंग डाल दी जाती है, अगर ऐसा है तो सिस्टम को ऊपर से ही ठीक करना होगा, क्योंकि जब तक ऊपर से सिस्टम ठीक नहीं निचले स्तर पर मिलावटखोरी रूक ही नहीं सकती। मेहनत व ईमानदारी से की गई कमाई में ही बरकत होती है। दुनियां के विद्वान लोग अक्सर एक बात कहते है कि मेहनत व ईमानदारी से की गई कमाई में ही बरकत होती है। मिलावटखोरी व बेईमानी की कमाई कभी भी फलती नहीं है बढ़ती नहीं है। यह बात मिलावटखोरों को मिलावट करने से पहले या ऐसा काम करने से पहले बात समझ लेनी चाहिए। बाकी इस समाजिक बुराई को रोकने के लिए सभी को मिलकर काम करना होगा।
मनप्रीत सिंह मन्ना
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