गुरसिख सतगुरु की बताई मर्यादा को अपने जीवन का श्रंृगार समझता है :   चावला 

होशियारपुर, ( MANPREET MANNA): सतगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज की आपार कृपा से संत निरंकारी सत्संग भवन असलामाबाद होशियारपुर में हरभजन सिंह चावला (मैंबर इंचार्ज ब्रांच, प्रबंधन पंजाब एंड चंडीगढ़) की छत्रछाया में विशाल सत्संग समारोह का आयोजन किया गया। इसमें होशियारपुर के अतिरिक्त आसपास से माहिलपुर, हरियाना, गढ़दीवाला, शामचौरासी की साधसंगत ने आर्शीवाद प्राप्त किया। इस अवसर पर महात्मा हरभजन सिंह चावला अपने शब्दों में फरमाया कि संत निरंकारी मिशन पूरी मानवता का मिशन है, जिसमें प्रभु का ज्ञान, जीवन जीने की कला, अमन प्रेम वाली भावनाओं को हमेशा से ही हर इंसान तक कर्म रूप से पहुंचाने का प्रयास किया जाता रहा है और आज भी समय के सतगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज दिन रात पूरे विश्व को इस ब्रह्मज्ञान से इंसान के जीवन में आनंद और ठहराव को पहुंचाने का प्रयास कर रहे है।

 

उन्होंने अपने प्रवचनों में फरमाया कि इस परमात्मा का जानना इस इंसानी जीवन का असली उद्देश्य है। इसको जानने के बाद ही सही अर्थों में इंसान की यात्रा शुरू होती है। इंसान जब इस परमात्मा से नाता जोड़ लेता है तो फिर उसकी अपनी मन की भावनाएं खत्म हो जाती है और वो सतगुरु को समर्पित हो जाता है। उसका आने वाला जीवन अपने सतगुरु के आदेशों के अनुसार होता है तभी वो एक सच्चा गुरसिख कहलाने की लायक बनता है। उसकी अपनी वैर, विरोध, नफरत, निंदा,ऊंच नीच वाली सभी भावनाएं इस ज्ञान से खत्म हो जाती है और उसके मन में प्रभु का अहसास हमेशा बना रहता है तथा वह प्रेम, सत्कार,दया,करूणा से युक्त होकर हर इंसान से सदभाव से मिलवर्तन करता है। गुरसिख हमेशा ही अपने गुरु के वचनों को प्राथमिकता देता है। वो हर चीज में अच्छाई ढूंढने प्रयास करता है।

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नकारात्मक सोच और नकारात्मक सोच वाले इंसानों से वह हमेशा ही दूरी बनाकर रखता है। सतगुरु की बताई मर्यादा को अपने जीवन का श्रंृगार समझता है और हर बार मर्यादा में चलना ही भक्ति समझता है। गुरसिख हर बार यहीं प्रयास करता है कि किसी को सुधारने से पहले मैं अपने आप को सुधारूं। पुरातन भक्तों के जीवन को देखें  तो उनके जीवन में गुरु के प्रति समर्पण और मर्यादा का पालन उनकी भक्ति का एक अहम हिस्सा रहा है। गुरसिख हरेक कदम सोच समझकर चलता है ताकि उसके चरित्र के कारण उसके गुरु पर कोई ऊंगली न करे। गुरसिख हमेशा ही गुरु की रजा में राजी रहता है। इस निरंकार पर हमेशा विश्वास बनाकर रखता है कि मेरे जीवन में सब कुछ करने वाला यही है तो फिर यह सोच को अपनाकर निरंतर सत्संग सेवा, सिमरन से नाता जोड़ता चला जाता है। इसका सिमरन स्वास स्वास चलता रहता है। बाबा हरदेव सिंह जी ने फरमाया था कि जैसे हमारे स्वास दिन रात सोते जागते चलते रहते है ऐसे गुरसिख के जीवन में सिमरन भी स्वास स्वास चलता रहता है और ऐसी भावनाओं से युक्त गुरसिख का लोक और परलोक दोनों सवर जाते है। अंत में जोनल इंचार्ज मनोहर लाल शर्मा व ब्रांच मुखी बहन सुभदरा देवी ने महात्मा हरभजन सिंह चावला व आई हुई संगत का धन्यवाद किया। इस अवसर पर शिक्षक महात्मा देविंदर बोहरा बोबी, बख्शी सिंह, निर्मल दास, पंकज कुमार, योगराज, बहन रूपा, सुखदेव कुमार आदि सहित भारी संख्या में संगत उपस्थित थी।

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