नई दिल्ली : केंद्र सरकार ने सिविल सेवकों के लिए पेंशन नियमों में संशोधन किया है। इसके मुताबिक अब खुफिया या सुरक्षा से संबंधित संगठनों से रिटायर्ड अधिकारी बिना इजाजत कोई भी चीज प्रकाशित नहीं कर सकते हैं।
बिना अनुमित सामग्री पब्लिश करने पर उनकी पेंशन रोक दी जाएगी। नए संशोधन के मुताबिक, अब किसी भी खुफिया या सुरक्षा से संबंधित संगठन के अधिकारियों को किसी भी कंटेंट को प्रकाशित करने के लिए उन्हें पूर्व अनुमति लेनी होगी।
केंद्रीय सिविल सेवा (पेंशन) संशोधन नियम, 2020 को सोमवार को अधिसूचित किया गया। कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन मंत्रालय के तहत कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग ने भविष्य में अच्छे आचरण के अधीन पेंशन पर नियमों में एक विकल्प खंड के रूप में इस शर्त को पेश किया है।
इस संशोधन का मतलब है कि अगर पेंशनभोगी नियमों की अवहेलना करता है यानी की बिना अनुमति के अपने संगठन से जुड़ी कोई भी जानकारी शेयर करता है तो उसकी पेंशन रोकी या काटी जा सकती है। नियमों में यह बदलाव सुरक्षा और खुफिया संगठनों के सेवानिवृत्त अधिकारियों को प्रभावित करने की संभावना है जो अपने पूर्व संगठनों और अनुभवों पर समाचार पत्रों और पत्रिकाओं या लेखक पुस्तकों में लिखते हैं।
केंद्रीय सिविल सेवा (पेंशन) नियम, 1972 में संशोधन करते हुए, डीओपीटी ने एक क्लॉज जोड़ा। इसमें कहा गया है कि सेवानिवृत्ति पर आरटीआई अधिनियम की दूसरी अनुसूची में मेंशन्ड संगठनों में काम करने वालों को ऑर्गेनाइजेशन के प्रमुख से पूर्व मंजूरी के बिना संगठन के डोमेन से संबंधित कुछ भी प्रकाशित करने की अनुमति नहीं होगी। किसी भी “संवेदनशील” जानकारी को प्रकाशित करने की अनुमति नहीं दी जाएगी और संबंधित संगठन के प्रमुख यह तय करेंगे कि प्रकाशन के लिए मामला संवेदनशील है या नहीं।
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