मानवता के लिए मनाया अंतराष्ट्रीय मेरा वृक्ष दिवस
इतिहास :: भारत से ही शुरु हुई थी प्रथा
नवां शहर : विश्व जन को वृक्षों के प्रति विशेष महत्वता की अलख जगाने के लिए अंतराष्ट्रीय मेरा वृक्ष दिवस जुलाई के अंतिम रविवार को मनाया जाता है। इस के संस्थापक अशवनी जोशी का जन्म पंजाब में एक मध्यम परिवार में हुआ और स्कूली पढ़ाई के बाद भारतीय नौसेना से इंजीनियरिंग करके 11 वर्ष सेना में सेवा करके, विदेशी समुंद्री जहाजों में बतौर विद्युत ऑफिसर 15 वर्ष लगभग 160 देशों का भृमण किया।
वर्ष 1996 से पर्यवरण के प्रति लोगों में जागरूकता के कार्य करने शुरू किए। जिनमे पौधरोपण मुख्य रहा। फिर वर्ष 2010 में गो ग्रीन इंटरनेशनल ऑर्गेनाइजेशन का भारत से ही गठन करवाने में मुख्य भूमिका निभाई। वर्ष 2010 जुलाई के अंतिम रविवार को वृक्षों के प्रति जन आन्दोलन के जरिये लोगों को स्वेइच्छा पौधरोपण और पौधों से भावनात्मक अपनापन को बढावा देने के लिए अंतराष्ट्रीय मेरा वृक्ष दिवस की क्रांतिकारी शुरुआत की।
जो कि अब समय की जरूरत के मुताबिक लोक लहर भी बन चुकी है।
शायद यह पहला ऐसा अंतराष्ट्रीय दिवस है जो भारत ने दुनिया को दिया हो।
पर्यवरण की दुर्दशा देखते हुए
अशवनी जोशी अपील करते हैं कि कम से कम इतने पेड़ तो जरूर लगा लो जो मरने के वक्त चाहिए। जीने के लिए पेड़ ही एक मात्र ऑक्सीजन के प्राकृतिक लंगर हैं।
जोशी ने पेड़ों की कटाई के विरुद्ध अदालतों के दरवाजे भी खटखटाये हैं। वे पेड़ काटने की बजाए पेड़ स्थान्तर विधि की सरकार से मांग करते रहे हैं ताकि पले हुए बड़े पेड़ भी सुरक्षित जगह पर शिफ्ट हो सकें।
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CANADIAN DOABA TIMES
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