* तुलसी की सुगंध से महका होशियारपुर*
होशियारपुर (ग्रोवर ) *दिव्य ज्योति जागृति संस्थान द्वारा संरक्षण प्रकल्प के अ न्तर्गत 75 वें स्वतंत्रता दिवस के उपलक्ष्य में होशियारपुर शहर में संस्थान द्वारा 2000 से अधिक तुलसी के पौधे गमलों सहित वितरित किये गये। इस अवसर पर साध्वी रुक्मणी भारती जी ने जानकारी देते हुये कहा कि तुलसी धार्मिक,आध्यात्मिक और आयुर्वेदिक महत्व की दृष्टि से विलक्षण पौधा है,जिस घर में इसकी स्थापना होती है,वहां आध्यात्मिक उन्नति के साथ सुख,शांति और समृद्धि स्वयं आती है।
आगे साध्वी जी ने इसके धार्मिक,आध्यात्मिक और आयुर्वेदिक के महत्व के बारे में बताया।
आध्यात्मिक महत्व
◆पौराणिक कथाओं के अनुसार देवों और दानवों द्वारा किए गए समुद्र-मंथन के समय जो अमृत धरती पर छलका,उसी से तुलसी की उत्पत्ति हुई थी. इसलिए इस पौधे के हर हिस्से में अमृत समान गुण हैं।
◆जब हनुमान लंका भ्रमण कर रहे थे, तो लंका में विभीषण के घर तुलसी का पौधा देखकर वे बहुत प्रसन्न हुए थे।
◆ तुलसी का एक नाम वृंदा है।प्राचीन भारत में मथुरा के आसपास कई योजन में फैला इसका एक विशाल वन था,जिसे वृन्दावन कहते थे।
◆सुबह के समय तुलसी पर जल चढ़ाएं और शाम के वक्त तुलसी के पास दीपक भी जलाना चाहिए ऐसी मान्यता है कि जो महिलाएं शाम के समय तुलसी के पास दीपक जलाती हैं, उनके घर में महालक्ष्मी की कृपा सदैव बनी रहती है।
◆ आयुर्वेदिक/वैज्ञानिक महत्व
◆तुलसी के पौधे में पायी जाने वाली गंध आसपास के वातावरण में उपस्थित सूक्षम रोग जनक वायरस को ख़तम कर देती है
◆क्या आप जानते है तुलसी की पतियों का प्रतिदिन सेवन करने से कैंसर जैसी बीमारी से भी बचा जा सकता है।
◆आपको जानकर हैरानी होगी तुलसी की पतियों में पारा नामक प्रदार्थ पाया जाता है जो बहुत सी बीमारियों में लाभदायक होता है।
आगे साध्वी जी बताया कि मानव जीवन की कल्पना प्रकृति बिना असम्भव है। जब भी मानव निराश होता है तो उसे प्रकृति के सान्निध्य में जाकर ही शान्ति मिलती है। बेल्जियम में 10 से 15 वर्ष के 620 बच्चों पर होसेल्ट यूनिवर्सिटी द्वारा किया गया शोध यह बताता है कि जहां हरियाली अधिक होती है वहां रहने वाले बच्चों में IQ लेवल तेजी से बढ़ता है। तुलसी हमारी रोग प्रति रोधक शक्ति को बढाती है और करोनकाल मे तो तुलसी का महत्व और अधिक बढ़ जाता है। हमारे शास्त्रों में वर्णन आता है।
नमस्तुलसि कल्याणि नमो विष्णुप्रिये शुभे।
नमो मोक्षप्रदे देवि नमः सम्पत्प्रदायिके ॥2॥
अर्थात – मां तुलसी आप सब का कल्याण करने वाली एवं भगवान विष्णु की प्रिया हैं। हम सब आपको नमन करते हैं।
आध्यात्म हमें यही सिखाता है की हम आने वाली पीढी के लिये स्वस्थ वातावरण बनाये रखें। मानव अपने स्वार्थ के लिये पर्यावरण को नुक्सान पहुंचा कर भविष्य को खतरे में डाल रहा है। इस तुलसी वितरण प्रयास का मकसद पर्यावरण की सुरक्षा का जन मानस में भाव जगाना है। तान्की आने वाली हमारी भावी पीढीयां प्रकृति के सौंदर्य का नज़ारा ले सकें। आईये हम सब 75 वें स्वतंत्रता दिवस पर मिलकर ये संकल्प लें हम अधिक से अधिक पेड लगायेंगें और उनकी सही से देखभाल करेंगें।
इस अवसर पर शहर बासियों ने संस्थान के प्रयास की सराहना की।
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