होशियारपुर : मौजूदा राजनीतिक समीकरण से यह लगता है कि किसी भी राजनीतिक दल को संगठन में पुराने कार्यकर्ताओं नेताओं की अधिक जरूरत नहीं है।
इस संबंध में समाज सेवक दुष्यंत मिन्हास ने कहा अब सभी राजनीतिक दलों के कार्यकर्ता और नेताओं को अपनी-अपनी पार्टी की नीतियों की जानकारी देने की आम लोगों को जरूरत नहीं है।
क्योंकि चुनाव के समय जय नहीं मालूम की किस राजनीतिक दल कि हाईकमान ने किस राजनीतिक दल का नेता को अपनी पार्टी में शामिल करते समय ही चुनाव में उम्मीदवार बनाकर आम वोटोंरो के दरबार में बोटप्राप्त करने के लिए भेज देना है और उस समय राजनीतिक दल को अपने पार्टी के नेता और कार्यकर्ताओं की जरूरत ही नहीं होती जो कि आने वाले समय के लिए ठीक नहीं देखने की बात यह है कि कल तक जिस का हम विरोध करते थे आज वही हमारा गुणगान कर रहा है और ऐसे हालात में आम वोटर को फैसला लेना गंभीरता की जरूरत है.
इससे यह भी साबित होता है कि सभी राजनीतिक दलों को अपनों पर कम विश्वास और दूसरों पर ज्यादा विश्वास है तभी तो हम अपने नेता व कार्यकर्ता को नजरअंदाज कर कर दूसरी पार्टी के नेता व कार्यकर्ता अधिक महत्व देते हैं और ऐसे में लगता है कि भविष्य में कोई भी किसी भी राजनीतिक दल का कार्यकर्ता बनने से पहले यह सोचेगा की मैंने किसी भी राजनीतिक दल की मूल नीति के अनुसार काम नहीं करना क्योंकि आने वाले समय में पता नहीं उसने भी किस राजनीतिक दल में जाकर अपने आप को और मजबूत करना है.
मौजूदा हालात को देखते हुए भारतीय चुनाव आयोग से निवेदन करता हूं कि दल बदलू कानून में सुनिश्चित किया जाए कि कोई भी चुनाव हो कम से कम 6 महीने पहले कोई भी राजनीतिक दल दूसरे राजनीतिक दल का कार्यकर्ता व नेताओं को अपने राजनीतिक दल में सदस्य नहीं बना पाएगा।
इससे सभी राजनीतिक दलों के कार्यकर्ता व नेताओं का और अधिक मनोबल बढ़ेगा और अपनी अपनी पार्टी के संगठन की मजबूती के लिए और दिलचस्पी से काम करेंगे क्योंकि उनको आशा होगी कि भविष्य में हम भी पार्टी की ओर से कोई चुनाव लड़ सकते हैं।
मौजूदा राजनीतिक हालात देखते हुए सभी राजनीतिक दलों के पुराने कार्यकर्ता व नेता अपने अपने राजनीतिक भविष्य को लेकर चिंतत है.
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