सैंकड़ों लोगों ने नम आंखों से दी शहीद को अंतिम विदाई
गुरदासपुर 26 फरवरी ( Ashwani) :- दो दिन पहले पटियाला में एनसीसी कैडेट्स को जहाज उड़ाने के प्रशिक्षण देते हुए एयरक्राफ्ट क्रैश होने से शहादत का जाम पीने वाले वायुसेना की नंबर-3 ऐयर स्क्वार्डन एनसीसी युनिट पटियाला के ग्रुप कैप्टन जीएस सीमा, जिनकी तिरंगे में लिपटी हुई पार्थिव देह मंगलवार देर शाम वायुसेना के जवानों द्वारा गांव आलोवाल में लाई गई थी, शहीद का पार्थिव शरीर घर पर रात रखने के बाद आज बुधवार को गांव आलोवाल में पूरे सैन्य सम्मान के साथ अंतिम संस्कार कर दिया गया। शहीद ग्रुप कैप्टन जीएस सीमा की तिरंगे में लिपटी हुई पार्थिव देह को वायुसेना के जवान जब श्मशान ले जाने लगे तो कल तक पत्थर की मूरत बनी शहीद की मां सर्वजीत कौर व पत्नी नवनीत कौर की करुणामयी चीखें पत्थरों का कलेजा भी छलनी कर रही थी।
इस अवसर पर पठानकोट एयर फोर्स स्टेशन से विंग कमांडर रिंकू डोगरा के नेतृत्व में एयरफोर्स के जवानों व तिब्बड़़ी कैंट से कैप्टन अभिषेक की कमांड में टू-जैक राइफल्स के जवानों ने संयुक्त तौर पर शस्त्र उल्टे कर हवा में गोलियां दागते हुए विगुल की मातमी धुन के साथ शहीद को अंतिम सलामी दी। वायुसेना की ओर से एयरफोर्स स्टेशन पठानकोट के एयर ऑफिसर कमांडर एयर कमोडोर जेटी कुरियां, डीजी एनसीसी की तरफ से ब्रिगेडियर आरके मोर, विंग कमांडर तलसानिया, ग्रुप कैप्टन विकास सैनी, विंग कमांडर संजीव कुमार शर्मा, ग्रुप कैप्टन ललित भारद्वाज, कर्नल आईएएस पन्नू, जिला प्रशासन की तरफ से डीसी मोहम्मद इशफाक, एसडीएम सकत्तर सिंह बल्ल, तहसीलदार धारीवाल निर्मल सिंह के अलावा शहीद सैनिक परिवार सुरक्षा परिषद के महासचिव कुंवर रविंदर सिंह विक्की, पूर्व मंत्री सुच्चा सिंह छोटेपुर, मार्किट कमेटी धारीवाल के चेयरमैन कंवर प्रताप सिंह गिल आदि ने रीथ चढ़ाकर शहीद को श्रद्धा सुमन अर्पित किए।
शहीद की चिता को जब उनके 13 वर्षीय बेटे भवगुरनीत सिंह ने मुखाग्नि दिखाई तो श्मशान घाट पर मौजूद सैकड़ों लोगों ने शहीद कैप्टन ग्रुप कैप्टन जीएस चीमा अमर रहे, भारत माता की जय का जयघोष कर शहीद को नमन किया। इस मौके पर शहीद के भाई स्वर्णजीत सिंह चीमा, गुरजीत सिंह चीमा, गुरदीप सिंह चीमा व बहन गुरनीत कौर, अकाली नेता कंवलप्रीत सिंह काकी, एसएस बोर्ड के सदस्य भुपिंदर सिंह, जिला रक्षा सेवाएं भलाई विभाग के फील्ड अफसर सूबेदार मेजर सिंह, हवलदार संतोख सिंह, नायक सुरिंदर सिंह, शहीद लेफ्निेंट नवदीप सिंह अशोक चक्र के पिता कैप्टन जोगिंदर सिंह, पुलवामा हमले के शहीद कांस्टेबल मनिंदर सिंह के पिता सतपाल अत्तरी, शहीद सिपाही जतिंदर कुमार के पिता राजेश कुमार, शहीद सिपाही रणधीर सिंह के पिता सुखविंदर सिंह, जीओजी टीम की ओर से कैप्टन वरियाम सिंह, कैप्टन शमशेर सिंह, मेजर एसएस बाजवा, सरपंच कुलविंदर सिंह, कंवलजीत सिंह आदि उपस्थित थे।
चीमा जैसे जांबाज देश के रियल हीरो-डीसी
इस अवसर पर जिलाधीश मोहम्मद इशफाक ने शहीद परिवार के साथ दुख सांझा करते हुए कहा कि शहीद ग्रुप कैप्टन जीएस सीमा जैसे जांबाज देश के रियल हीरो हैं। इनके अदम्य साहस के सदके ही देश की एकता व अखंडता बरकरार है। उन्होंने कहा कि वह मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के आदेशों पर शहीद परिवार के साथ दुख बांटने आए हैं। उन्होंने कहा कि पंजाब सरकार व जिला प्रशासन शहीद के परिवार को हर संभव सहायता उपलब्ध करवाएगी तथा हम शहीद परिवारों की हर समस्या को प्राथमिकता के आधार पर हल करने हेतु वचनबद्ध हैं।
बोला शहीद का बेटा-गर्व है पापा की शहादत पर, मैं भी बनूंगा सैनिक
ग्रुप कैप्टन जीएस चीमा के बेटे भवगुरनीत सिंह ने कहा कि उन्हें अपने पापा की शहादत पर गर्व है तथा वे खुद भी एक सैनिक बनकर देश सेवा को प्राथमिकता देंगे। उसने कहा कि 2 दिन पहले ही उनकी फोन पर पापा से बात हुई थी। उन्हें कहा था कि एग्जाम ठीक-ठाक देना। वह हमेशा कहते थे कि जिंदगी में अगर मुझे कुछ हो गया तो कभी भी अपनी आंखों में आंसू मत लाना। शहीद के बेटे ने कहा कि सरकार को चाहिए कि की एनसीसी कैडेट्स को ट्रेनिंग देने वाले जहाजों में बदलाव करे ताकि भविष्य में कोई भी इस तरह के हादसे का शिकार ना होने पाए।
एक तरफ शहीद पापा का संस्कार दूसरी तरफ बेटी कुंजदीप की नेवी में हुई सिलेक्शन
एक तरफ शहीद ग्रुप कैप्टन जीएस सीमा का अंतिम संस्कार किया जा रहा था। दूसरी तरफ उनकी 22 वर्षीय बेटी कुंजदीप कौर की नेवी में सिलेक्शन हो गई। बेटी ने मंगलवार को पटियाला पहुंच शहीद पापा को श्रद्धांजलि अर्पित की और अंतिम संस्कार वाले दिन उसका दिल्ली में मेडिकल हो गया। जिसमें पास होकर उसकी नेवी में सिलेक्शन हो गई। इस तरह एक बेटी ने देशहित को प्राथमिकता देते हुए शहीद पापा के सपनों को साकार किया, क्योंकि उनके पापा हमेशा कहते थे की तुम्हे सेना में अफसर बनना है।
शहीद की माता सर्वजीत कौर ने नम आंखों से बताया कि नौकरी के दौरान उनके बेटे ने बहुत जहाज उड़ाए। कई बार जहाज लेकर जब वह गांव से गुजरता था तो जहाज को नीचे कर लेता था तथा वह छत्त पर जाकर हाथ हिलाकर बेटे को आशीर्वाद देती थी। उसने कहा कि वह जनवरी में आया था और मुझे एक कोट लेकर दे गया था।
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