ग्रुप कैप्टन जी.एस.चीमा ने एन.सी.सी कैडेट्स को बचाते हुए पिया था शहादत का जाम
अंतिम अरदास व श्रद्घांजलि समारोह आज
PATHANKOT (RAJINDER RAJAN, RAJAN VERMA) जब भी देश की सुरक्षा को खतरा पैदा हुआ, देश के जांबाज सैनिकों ने दुश्मन के नापाक इरादों को नेस्तोनाबूद करते हुए अपने प्राणों की आहुति देकर अपना नाम शहीदों की श्रृंखला में स्वर्ण अक्षरों में अंकित करवा लिया। शहीदों की श्रेणी में 10 दिन पहले एक नाम ओर जुड़ गया, जब 24 फरवरी को भारतीय वायुसेना की नंबर-3 एयर स्क्वार्डन एन.सी.सी विंग पटियाला के ग्रुप कैप्टन जी.एस.चीमा एन.सी.सी कैडेट्स को जहाज उड़ाने की ट्रेनिंग देते हुए एयरक्राफ्ट क्रैश होने से अपने कैडेट को बचाते हुए अपनी ड्यूटी को कर्तव्य परायणत्ता से निभा कर शहादत का जाम पी गए।
इनके जीवन वृत्तांतों संबंधी जानकारी देते हुए शहीद सैनिक परिवार सुरक्षा परिषद के महासचिव कुंवर रविन्द्र सिंह विक्की ने बताया कि ग्रुप कैप्टन जी.एच.चीमा का जन्म 2 अक्तूबर 1969 को गांव आलोवाल में पिता कुलविन्द्र सिंह चीमा व माता सर्बजीत कौर के घर हुआ। सैनिक स्कूल कपूरथला से बारहवीं व सरकारी कालेज गुरदासपुर से बी.ए करने के बाद वह 14 दिसम्बर 1991 को भारतीय वायुसेना में बतौर पायलट अफसर भर्ती होकर देश सेवा में जुट गए। दिसम्बर 2018 को उनकी प्रोमोशन हो गई और वह ग्रुप कैप्टन बन गए।
ग्रुप कैप्टन जी.एस.चीमा को 28 वर्षों की नौकरी के दौरान फाइटर जहाज मिग-21, ए.एन-32 जैसे अन्य कई जहाजों को उड़ाने का कड़ा अनुभव था। पिछले कुछ वर्षों से वह पटियाला में एयरफोर्स के एन.सी.सी विंग के कैडेट्स को जहाज उड़ाने की ट्रेनिंग दे रहे थे। 24 फरवरी को उनका एयर क्राफ्ट उड़ान भरते ही क्रैश हो गया तथा अपने साथ बैठे एन.सी.सी कैडेट्स के प्राणों को बचाते हुए ग्रुप कैप्टन चीमा ने शहादत का जाम पी लिया। कुंवर रविन्द्र सिंह विक्की ने बताया कि इस बहादुर पायलट जी.एस.चीमा की अंतिम अरदास व श्रद्घांजलि समारोह दिनांक 4 मार्च को उनके पैतृक गांव आलोवाल में आयोजित किया जा रहा है। जिसमें कई गणमान्य लोग व सैन्याधिकारी शामिल होकर उन्हें श्रद्घासुमन अर्पित करेंगे।
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